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रविवार, 5 जनवरी 2025

ATS: भारत में आतंकवादी नेटवर्क को कैसे ट्रैक और नष्ट करती है.

भारतीय (ATS) का मतलब एंटी-टेररिज्म स्क्वाड है, जो भारत के विभिन्न राज्यों की पुलिस बलों में आतंकवाद निरोधक कार्यों के लिए एक विशेषीकृत इकाई होती है। इनका मुख्य उद्देश्य आतंकवादी हमलों को रोकना, आतंकवाद से संबंधित घटनाओं की जांच करना और आतंकवादी नेटवर्क को नष्ट करना है।

भारतीय एटीएस के प्रमुख पहलू:

  • उद्देश्य: एटीएस का मुख्य कार्य आतंकवाद से लड़ना है, जिसमें आतंकवादी हमलों को रोकना, आतंकवाद से संबंधित मामलों की जांच करना और आतंकवादी नेटवर्क का भंडाफोड़ करना शामिल है।
  • क्षेत्राधिकार: एटीएस इकाइयाँ राज्य स्तर पर स्थापित की जाती हैं, और प्रत्येक राज्य में एक अलग एटीएस इकाई होती है। महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसी राज्य एटीएस इकाइयाँ विशेष रूप से सक्रिय और प्रसिद्ध हैं।
  • कार्य और कर्तव्य:

    • आतंकवादी गतिविधियों पर खुफिया जानकारी इकट्ठा करना।
    • आतंकवादी हमलों या साजिशों की जांच करना।
    • संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ्तार करना।
    • अन्य कानून प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियों के साथ समन्वय करना, जैसे कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA), सीबीआई, और रॉ (RAW)।

  • महाराष्ट्र एटीएस: यह भारतीय एटीएस इकाइयों में से सबसे प्रमुख और सक्रिय इकाई मानी जाती है। महाराष्ट्र एटीएस ने 26/11 मुंबई हमले जैसी कई महत्वपूर्ण आतंकवाद निरोधक कार्रवाइयों में भाग लिया है।

  • प्रशिक्षण और विशेषज्ञता: एटीएस के सदस्य आतंकवाद निरोधक तकनीकों, निगरानी, खुफिया जानकारी इकट्ठा करने और उच्च जोखिम वाली परिस्थितियों को संभालने के लिए विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं।

मंगलवार, 13 सितंबर 2022

संयम की आवश्यकता

 संयम की आवश्यकता

"सदाचारी एवं संयमी व्यक्ति ही जीवन के प्रत्येक

क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है।"


जब स्वामी विवेकानंद जी विदेश में थे, तब ब्रह्मचर्य की चर्चा छिड़ने पर उन्होंने कहाः "कुछ दिन पहले एक भारतीय युवक मुझसे मिलने आया था। वह करीब दो वर्ष से अमेरिका में ही रहता है। वह युवक संयम का पालन बड़ी दृढ़ता पूर्वक करता है। एक बार वह बीमार हो गया तो उसने डॉक्टर को बताया। तुम जानते हो डॉक्टर ने उस युवक को क्या सलाह दी ? कहाः "ब्रह्मचर्य प्रकृति के नियम के विरूद्ध है। अतः ब्रह्मचर्य का पालन करना स्वास्थ्य के लिए हितकर नहीं है।ʹ



उस युवक को बचपन से ही ब्रह्मचर्य-पालन के संस्कार मिले थे। डॉक्टर की ऐसी सलाह से वह उलझन में पड़ गया। वह मुझसे मिलने आया एवं सारी बातें बतायीं। मैंने उसे समझायाः तुम जिस देश के वासी हो वह भारत आज भी अध्यात्म के क्षेत्र में विश्वगुरु के पद पर आसीन है। अपने देश के ऋषि-मुनियों के उपदेश पर तुम्हें ज्यादा विश्वास है कि ब्रह्मचर्य को जरा भी न समझने वाले पाश्चात्य जगत के असंयमी डॉक्टर पर ? ब्रह्मचर्य को प्रकृति के नियम के विरूद्ध कहने वालों को ब्रह्मचर्य शब्द के अर्थ का भी पता नहीं है। ब्रह्मचर्य के विषय़ में ऐसे गलत ख्याल रखने वालों से एक ही प्रश्न है कि आपमें और पशुओं में क्या अन्तर है ?"


ब्रह्मचर्य सभी अवस्थाओं में विद्यार्थी, गृहस्थी, साधु-सन्यासी, सभी के लिए अत्यन्त आवश्यक है।

सदाचारी एवं संयमी व्यक्ति ही  जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है। चाहे बड़ा वैज्ञानिक हो या दार्शनिक, विद्वान हो या बड़ा उपदेशक, सभी को संयम की जरूरत है। स्वस्थ रहना हो तब भी ब्रह्मचर्य की जरूरत है, सुखी रहना हो तब भी ब्रह्मचर्य की जरूरत है और सम्मानित रहना हो तब भी ब्रह्मचर्य की जरूरत है।


स्वामी विवेकानन्द के जीवन में संयम था तभी तो उन्होंने पूरी दुनिया में भारतीय अध्यात्म-ज्ञान का ध्वज फहरा दिया। हे भारत के युवक व युवतियो ! यदि जीवन  संयम, सदाचार को अपना लो तो तुम भी महान से महान कार्य करने में सफल हो सकते हो।


Source: https://www.hariomgroup.org/hariombooks_satsang_hindi/PrernaJyot.htm