अराकान आर्मी (AA) म्यांमार का एक प्रमुख जातीय सशस्त्र समूह है, जो मुख्य रूप से राखिन (अर्जिन) जातीय समूह से बना है। यह समूह म्यांमार के राखिन राज्य (जो बांगलादेश से सीमा साझा करता है) में सक्रिय है और वहां के राजनीतिक और सुरक्षा माहौल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। AA का उद्देश्य राखिन लोगों के लिए अधिक स्वायत्तता और अधिकारों की रक्षा करना है। निम्नलिखित में अराकान आर्मी और इसके गतिविधियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है:
पृष्ठभूमि और स्थापना:
- स्थापना: अराकान आर्मी की स्थापना 2009 में की गई थी। इस समूह का मुख्य उद्देश्य राखिन लोगों को म्यांमार सैन्य (तत्मादाव) और अन्य सशस्त्र समूहों से बचाना था। समूह की स्थापना मुख्य रूप से राखिन जातीय आबादी द्वारा की गई थी, जो सरकार की उपेक्षा और उत्पीड़न से नाराज थे।
- लक्ष्य: अराकान आर्मी का मुख्य लक्ष्य राखिन लोगों के लिए अधिक राजनीतिक और आर्थिक अधिकार प्राप्त करना और उनके लिए क्षेत्रीय स्वायत्तता की मांग करना है। यह समूह एक सैन्य विंग रखता है और म्यांमार के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में राखिन लोगों का बेहतर प्रतिनिधित्व चाहता है।
- प्रेरणा: अराकान आर्मी ने म्यांमार के अन्य जातीय सशस्त्र समूहों जैसे काचिन इंडिपेंडेंस आर्मी (KIA) और शान स्टेट आर्मी (SSA) से प्रेरणा ली है, जिनका उद्देश्य म्यांमार सरकार से स्वतंत्रता प्राप्त करना रहा है।
महत्वपूर्ण घटनाएँ और विस्तार:
- संघर्ष का बढ़ना (2015 के बाद): अराकान आर्मी ने 2015 तक अपेक्षाकृत कम पहचान बनाई थी, लेकिन उसके बाद इसकी गतिविधियाँ तेज़ हो गईं। 2015 से 2017 के बीच, इस समूह ने म्यांमार सेना, पुलिस चौकियों और सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर पर हमले करना शुरू कर दिया। इस समय के दौरान, राखिन राज्य में सैनिकों की भारी तैनाती और स्थानीय नागरिकों के उत्पीड़न ने इस समूह को और सक्रिय कर दिया।
- 2018-2019 का आक्रमण: 2018 तक, अराकान आर्मी ने राखिन राज्य के कई हिस्सों में आक्रमण किया था। 2019 की शुरुआत में, इस समूह ने राखिन राज्य के महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर नियंत्रण कर लिया और म्यांमार सैन्य के खिलाफ बड़े पैमाने पर हमले किए। इन हमलों ने म्यांमार सेना को कठिन स्थिति में डाल दिया और अराकान आर्मी को एक मजबूत प्रतिरोधक बल बना दिया।
- मानवाधिकार संकट: अराकान आर्मी और म्यांमार सैन्य के बीच संघर्ष ने गंभीर मानवीय संकट को जन्म दिया है। हजारों नागरिकों को राखिन राज्य और उसके आस-पास के क्षेत्रों से विस्थापित होना पड़ा है। इस संघर्ष ने पहले से ही रोहिंग्या मुस्लिमों द्वारा उत्पीड़न की स्थिति को और जटिल बना दिया है, क्योंकि 2017 में म्यांमार सेना द्वारा किए गए सैन्य कार्रवाई से बड़ी संख्या में रोहिंग्या बांगलादेश भाग गए थे।
वर्तमान स्थिति:
- राखिन राज्य पर नियंत्रण: 2023 के अंत और 2024 की शुरुआत तक, अराकान आर्मी राखिन राज्य के महत्वपूर्ण हिस्सों पर नियंत्रण बनाए हुए है। म्यांमार सैन्य ने कई बार इस समूह को दबाने की कोशिश की है, लेकिन अराकान आर्मी ने महत्वपूर्ण इलाकों में अपनी पकड़ बनाए रखी है।
- सैन्य रणनीति: अराकान आर्मी गुरिल्ला युद्ध की रणनीति का उपयोग करती है, जिसमें वे छापामार हमले, घातक हमले और छोटे-छोटे हमलों का सहारा लेते हैं। यह समूह स्थानीय इलाके और नागरिकों के समर्थन का फायदा उठाता है, जिससे म्यांमार सेना को दबाना कठिन हो जाता है।
- जातीय और राजनीतिक संदर्भ: यह संघर्ष म्यांमार के अंदर जातीय तनावों से भी जुड़ा हुआ है, खासकर राखिन और अन्य जातीय समूहों के बीच। हालांकि अराकान आर्मी मुख्य रूप से राखिन राष्ट्रीयता को बढ़ावा देने के लिए संघर्ष कर रही है, लेकिन म्यांमार सेना ने इस समूह को एक कट्टरपंथी संगठन के रूप में पेश किया है, जबकि यह मुख्य रूप से राखिन लोगों के अधिकारों की रक्षा करना चाहता है।
क्षेत्रीय प्रभाव:
- राखिन राज्य और बांगलादेश: राखिन राज्य की स्थिति बांगलादेश के साथ सीमा साझा करने के कारण और भी जटिल हो जाती है। यह क्षेत्र पहले से ही रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए एक संकट बना हुआ है। अराकान आर्मी की गतिविधियाँ न केवल म्यांमार के भीतर बल्कि बांगलादेश में भी एक नए मानवीय संकट का कारण बन सकती हैं।
- मानवitarian स्थिति: संघर्ष ने राखिन राज्य में एक गंभीर मानवाधिकार स्थिति को जन्म दिया है। म्यांमार सेना और अराकान आर्मी के बीच लड़ाई के कारण लाखों लोग विस्थापित हो गए हैं और मानवीय सहायता तक पहुँच बहुत कठिन हो गई है। इस क्षेत्र में राहत कार्यों को गंभीर सुरक्षा समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
राजनीतिक संदर्भ:
- सैन्य तख्तापलट (2021): फरवरी 2021 में म्यांमार सेना ने आंग सान सू की की सरकार को उखाड़ फेंका, जिससे राजनीतिक स्थिति और अधिक जटिल हो गई। अराकान आर्मी, जो पहले नागरिक सरकार के साथ बातचीत कर रही थी, अब सैन्य सरकार के खिलाफ संघर्ष कर रही है। इस समय, म्यांमार के नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट (NUG) का गठन हुआ, जिसमें विभिन्न जातीय सशस्त्र समूहों को भी शामिल किया गया है। अराकान आर्मी ने NUG और अन्य जातीय समूहों के साथ गठजोड़ बनाने की कोशिश की है।
- जातीय सशस्त्र समूहों की स्थिति: म्यांमार में कई जातीय सशस्त्र समूह हैं, जिनमें से कुछ सरकार के साथ सहयोग करते हैं, जबकि कुछ सरकार के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। अराकान आर्मी, हालांकि स्वतंत्र रूप से संघर्ष कर रही है, लेकिन इसे अन्य जातीय समूहों के साथ गठबंधन बनाने की आवश्यकता है, क्योंकि म्यांमार के सैन्य शासन के खिलाफ कई समूह एक साथ आ चुके हैं।
निष्कर्ष:
अराकान आर्मी म्यांमार का एक प्रमुख सशस्त्र समूह बन चुकी है और राखिन राज्य के कई हिस्सों पर इसका नियंत्रण है। म्यांमार सेना और अराकान आर्मी के बीच संघर्ष ने व्यापक मानवाधिकार उल्लंघन, विस्थापन और मानवीय संकट को जन्म दिया है। इस संघर्ष का समाधान निकाले बिना राखिन राज्य में स्थिति और भी जटिल होती जा रही है, और म्यांमार के भीतर समग्र राजनीतिक संघर्ष भी बढ़ रहा है।

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