केन्या के सबसे बड़े हवाई अड्डे जोमो केन्याटा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (JKIA) और भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनी अडानी ग्रुप के बीच 2021 में हुआ यह सौदा अडानी ग्रुप को (JKIA) जोमो केन्याटा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का 25 वर्षों तक संचालन और प्रबंधन करने का अधिकार देता है। यह सौदा एक विवाद का कारण बन गया है, हालांकि यह सौदा एक व्यावसायिक समझौता जैसा प्रतीत होता है, लेकिन नेल्सन अमेन्या, एक केन्याई व्यापारी और व्हिसलब्लोअर, ने इसके पीछे के छिपे हुए सच को उजागर किया है।
नेल्सन अमेन्या ने आरोप लगाया कि यह सौदा पारदर्शिता के बिना और बिना किसी उचित निविदा प्रक्रिया के किया गया था, जिससे केन्या सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठते हैं। उनका दावा है कि इस सौदे में भ्रष्टाचार और गड़बड़ियां हुई हैं, जो केवल कुछ चुनिंदा लोगों के हित में काम करती हैं, जबकि सार्वजनिक लाभ और कानूनी प्रक्रियाओं को नजरअंदाज किया गया।
क्या था नेल्सन अमेन्या का खुलासा?
उनके मुताबिक, यह सौदा चीन और भारत के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा का हिस्सा हो सकता है, और भारत के अडानी ग्रुप को इस प्रकार के सौदे से एक महत्वपूर्ण रणनीतिक बढ़त मिली है। वहीं, यह भी चिंता का विषय है कि इस सौदे से केन्या की राष्ट्रीय सुरक्षा और आंतरिक संचालन पर क्या असर पड़ेगा, क्योंकि एक विदेशी कंपनी को इतने महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संसाधन का प्रबंधन सौंपा गया है।
केन्या की सरकार का रुख!
हालांकि सरकार ने इस सौदे का बचाव किया है और इसे कानूनी रूप से सही बताया है, लेकिन नागरिक समाज, विपक्षी दलों और पारदर्शिता संगठनों ने इस पर गंभीर सवाल उठाए हैं। इन संगठनों का मानना है कि केन्या के लोगों को इस सौदे के बारे में अधिक जानकारी दी जानी चाहिए और इसकी जांच होनी चाहिए।
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चीन, अदानी, केन्या और अमेरिका के बीच संबंध ?
- चीन, अदानी, केन्या और अमेरिका के बीच संबंध वैश्विक भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा, व्यापारिक हित और रणनीतिक निर्णयों का मिश्रण हैं। चीन अफ्रीका में अपने बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के माध्यम से अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है, जबकि भारत अदानी समूह के जरिए अफ्रीका में निवेश और व्यापार बढ़ा रहा है। अमेरिका इन दोनों के बीच अपनी भूमिका निभाने की कोशिश कर रहा है, और केन्या जैसी रणनीतिक जगहों पर नियंत्रण के लिए वैश्विक शक्तियाँ प्रतिस्पर्धा कर रही हैं।
1. चीन का अफ्रीका में प्रभाव:
चीन ने पिछले दो दशकों में अफ्रीका में बड़े पैमाने पर निवेश किया है, खासकर बुनियादी ढांचे, व्यापार और संसाधनों के क्षेत्र में। चीन का बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) अफ्रीका में उसकी रणनीतिक स्थिति को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। केन्या में भी चीन ने महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश किया है, जैसे स्टैंडर्ड गेज रेलवे (SGR), जो नैरोबी और मोंबासा को जोड़ता है, और अन्य परियोजनाओं जैसे सड़कें, पावर प्लांट और बंदरगाह। इस बढ़ते प्रभाव ने कुछ पश्चिमी देशों के बीच चिंता का कारण बना है, जो अफ्रीका में चीन की बढ़ती उपस्थिति को लेकर चिंतित हैं।
2. अदानी समूह की भूमिका:
अदानी समूह, जो भारत की एक प्रमुख बहुराष्ट्रीय कंपनी है, ने वैश्विक स्तर पर अपनी मौजूदगी बढ़ाई है, विशेष रूप से बुनियादी ढांचा और ऊर्जा क्षेत्रों में। केन्या में, अदानी समूह ने जोमो केन्याटा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (JKIA) का प्रबंधन करने के लिए एक समझौता किया, जो पारदर्शिता और शासन मुद्दों को लेकर विवादों का केंद्र बन गया। यह सौदा 2021 में हुआ था, और इस पर आरोप लगे कि यह बिना किसी खुली निविदा प्रक्रिया के हुआ था। अदानी का केन्या में विस्तार इस बात का संकेत है कि भारत भी अफ्रीका में अपनी आर्थिक और रणनीतिक उपस्थिति बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, जो चीन के बढ़ते प्रभाव के साथ प्रतिस्पर्धा करने की दिशा में है।
3. केन्या की रणनीतिक स्थिति और भूमिका:
केन्या, जो अफ्रीका के पूर्वी तट पर स्थित है, चीन और अमेरिका दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापारिक और सामरिक हब है। इसके भौगोलिक स्थिति के कारण, यह दोनों वैश्विक शक्तियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। केन्या के साथ चीन के मजबूत व्यापारिक संबंध हैं, खासकर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के क्षेत्र में। वहीं, अमेरिका केन्या को अफ्रीका में अपने विकासात्मक सहयोग का प्रमुख भागीदार मानता है और यहाँ व्यापार, कृषि और ऊर्जा क्षेत्रों में निवेश करता है।
4. अमेरिका का संबंध – भू-राजनीतिक और आर्थिक चिंताएँ:
अमेरिका चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर सतर्क है, खासकर अफ्रीका में, जहाँ चीन ने प्रमुख बुनियादी ढांचे पर नियंत्रण स्थापित किया है। अफ्रीका में प्रमुख बुनियादी ढांचे जैसे बंदरगाह, रेलवे और हवाई अड्डों पर चीन की बढ़ती पकड़, अमेरिका के लिए एक चिंता का विषय है। अमेरिका के लिए यह चिंता का कारण बनता है कि चीन इन महत्वपूर्ण संपत्तियों के जरिए अपनी रणनीतिक स्थिति मजबूत कर सकता है।
अदानी समूह का केन्या में JKIA सौदा इस संबंध को और जटिल बनाता है, क्योंकि हालांकि अमेरिका का इस सौदे में प्रत्यक्ष रूप से कोई हित नहीं है, लेकिन यह ग्लोबल स्तर पर चीन और भारत के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने वाला कदम है। भारत के साथ अमेरिका के रणनीतिक संबंध मजबूत हो रहे हैं, और अदानी समूह के वैश्विक विस्तार से यह और स्पष्ट होता है।
5. भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा और रणनीतिक गठबंधन:
चीन, अदानी, केन्या और अमेरिका के बीच संबंध एक बड़े भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का हिस्सा हैं, जिसमें इन वैश्विक शक्तियों का उद्देश्य अफ्रीका में अपने प्रभाव को बढ़ाना है। अफ्रीका, विशेष रूप से केन्या, एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ चीन और अमेरिका के बीच भारी प्रतिस्पर्धा है। इस प्रतिस्पर्धा में भारत, विशेष रूप से अदानी समूह के माध्यम से, अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है। भारत, जो पहले से ही अफ्रीका में व्यापारिक संबंध बढ़ा रहा है, अब अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए इस क्षेत्र में और अधिक सक्रिय हो गया है।





