मंगलवार, 13 सितंबर 2022

संयम की आवश्यकता

 संयम की आवश्यकता

"सदाचारी एवं संयमी व्यक्ति ही जीवन के प्रत्येक

क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है।"


जब स्वामी विवेकानंद जी विदेश में थे, तब ब्रह्मचर्य की चर्चा छिड़ने पर उन्होंने कहाः "कुछ दिन पहले एक भारतीय युवक मुझसे मिलने आया था। वह करीब दो वर्ष से अमेरिका में ही रहता है। वह युवक संयम का पालन बड़ी दृढ़ता पूर्वक करता है। एक बार वह बीमार हो गया तो उसने डॉक्टर को बताया। तुम जानते हो डॉक्टर ने उस युवक को क्या सलाह दी ? कहाः "ब्रह्मचर्य प्रकृति के नियम के विरूद्ध है। अतः ब्रह्मचर्य का पालन करना स्वास्थ्य के लिए हितकर नहीं है।ʹ



उस युवक को बचपन से ही ब्रह्मचर्य-पालन के संस्कार मिले थे। डॉक्टर की ऐसी सलाह से वह उलझन में पड़ गया। वह मुझसे मिलने आया एवं सारी बातें बतायीं। मैंने उसे समझायाः तुम जिस देश के वासी हो वह भारत आज भी अध्यात्म के क्षेत्र में विश्वगुरु के पद पर आसीन है। अपने देश के ऋषि-मुनियों के उपदेश पर तुम्हें ज्यादा विश्वास है कि ब्रह्मचर्य को जरा भी न समझने वाले पाश्चात्य जगत के असंयमी डॉक्टर पर ? ब्रह्मचर्य को प्रकृति के नियम के विरूद्ध कहने वालों को ब्रह्मचर्य शब्द के अर्थ का भी पता नहीं है। ब्रह्मचर्य के विषय़ में ऐसे गलत ख्याल रखने वालों से एक ही प्रश्न है कि आपमें और पशुओं में क्या अन्तर है ?"


ब्रह्मचर्य सभी अवस्थाओं में विद्यार्थी, गृहस्थी, साधु-सन्यासी, सभी के लिए अत्यन्त आवश्यक है।

सदाचारी एवं संयमी व्यक्ति ही  जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है। चाहे बड़ा वैज्ञानिक हो या दार्शनिक, विद्वान हो या बड़ा उपदेशक, सभी को संयम की जरूरत है। स्वस्थ रहना हो तब भी ब्रह्मचर्य की जरूरत है, सुखी रहना हो तब भी ब्रह्मचर्य की जरूरत है और सम्मानित रहना हो तब भी ब्रह्मचर्य की जरूरत है।


स्वामी विवेकानन्द के जीवन में संयम था तभी तो उन्होंने पूरी दुनिया में भारतीय अध्यात्म-ज्ञान का ध्वज फहरा दिया। हे भारत के युवक व युवतियो ! यदि जीवन  संयम, सदाचार को अपना लो तो तुम भी महान से महान कार्य करने में सफल हो सकते हो।


Source: https://www.hariomgroup.org/hariombooks_satsang_hindi/PrernaJyot.htm



रविवार, 11 सितंबर 2022

जिहाद की वजह से रोहिंग्या का विनाश हो गया !


जिहाद की वजह से रोहिंग्या का विनाश हो गया !

- जिहाद दोतरफा कुल्हाड़ा है ये राज्य भी दिलाता है और राज्य छीन भी लेता है । रोहिंग्या म्यांमार में जिहाद कर रहे थे और इसी जिहाद की वजह से 8 लाख रोहिंग्याओं का म्यांमार से निष्कासन हो गया । 

- भारत का दुश्मन मीडिया बीबीसी अपने लेख में ये तो बताता है कि दिल्ली के मदनपुर खादर में रह रहे रोहिंग्या बहुत बुरी हालत में हैं लेकिन वो ये नहीं बताता कि आखिर रोहिंग्याओं ने म्यांमार के अंदर वो कौन से उपद्रव मचाए जिसकी वजह से 1978 मे, 1991 में, 2012 में, 2015 में और 2016 से 2018 तक म्यांमार की सरकार को रोहिंग्या पर सैन्य कार्रवाई करनी पड़ी ।

-1940 के दशक से रोहिंग्या लोगों ने म्यांमार को तोड़ने के लिए जिन्ना के रास्ते पर चलकर म्यांमार से अलग एक देश रखाइन बनाने की कोशिश की । म्यांमार के बौद्ध लोग ना तो हिंदुओं की तरह दयावान थे और ना ही उस वक्त के हिंदुओं के बड़े वर्ग की तरह मूर्ख कि किसी गांधी को अपना नेता बनाते और 100 जूते खाकर अपनी बेटियों का बलात्कार करवाकर अहिंसा की उपासना करते, इसलिए वो बार-बार ना सिर्फ रोहिंग्याओं को देश तोड़ने से रोक सके बल्कि 2017 में पूजनीय अशिन विराथू के नेतृत्व में उनको म्यांमार से बाहर करने में पूरी तरह कामयाब भी रहे । 

-म्यांमार की सरकार ने रोहिंग्याओं को नागरिकता से वंचित कर दिया और स्पष्ट रूप से ये कहा कि ये बंगाली लोग हैं और म्यांमार में औपनवेशिक प्रवासी हैं । यानी ये रोहिंग्या वो लोग हैं जिनको ब्रिटिश सरकार मजदूरी करवाने के लिए म्यांमार के अराकान में बांग्लादेश से लाई थी । 

-ये रोहिंग्या लोग म्यांमार में जिहाद कर रहे थे वहां शांतिप्रिय बौद्ध समुदाय की लड़कियों के साथ छेड़खानी और रेप कर रहे थे । रखाइन प्रांत के जिन इलाकों में इनकी बहुलता थी वहां पर बौद्ध मठों में घंटियां बजाने पर भी इन लोगों ने रोक लगा दी थी । ये रोहिंग्या लोग जिहाद की शिक्षाओं पर चलते हुए गैरमुसलमानों का संपूर्ण विनाश करके इस्लाम और शरीयत की सत्ता लाने का ख्वाब देख रहे थे । फिर एक बौद्ध साधु अशिन विराथु ने इनके खिलाफ पूरे म्यांमार में अभियान चलाया और इनको ठीक वैसे ही जवाब दिया जैसे देवों ने असुरों और दैत्यों का सर्वनाश किया और उनको पलायन पर मजबूर कर दिया । 

-अब ये अपराधी, आतंकवादी कौम भारत में लाखों की संख्या में घुस आई है और इनको मुसलमान होने का फायदा मिल रहा है थोक के भाव आधार कार्ड बनवाकर इन हिंदु बहुल विधानसभाओं में सुनियोजित तरीके से सेकुलर पार्टियों के द्वारा बसाया जा रहा है ताकी वोट के गणित को बदला जा सके और गजवा ए हिंद का रास्ता आसान बनाकर भारत को इस्लामिस्तान बनने के रास्ते पर अग्रसर किया जा सके ।

- दिल्ली के मदनपुर खादर में 250 रोहिंग्या टैंटों में रहते हैं और आज तक न्यूज वेबसाइट के मुताबिक इस जमीन का मासिक 7 लाख रुपया किराया केजरीवाल दिल्ली सरकार के राजकोष से देता है । यानी हिंदुओं के टैक्स के पैसे ही दिल्ली सरकार रोहिंग्या पर लुटा रही है । केजरीवाल की सरकार मुसलमानों के वोटों से बनी हुई सरकार है इसलिए वो इस्लाम की सरपरस्ती में ही काम करेगी लेकिन सवाल ये है कि मोदी कैबिनेट में केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने क्यों ये ट्वीट किया कि रोहिंग्या को भारत सरकार सरकारी फ्लैट देगी ? 

-दरअसल हरदीप सिंह पुरी जैसे लोग बीजेपी में एक नहीं हजारों में हैं जो बड़े बड़े पदों पर विभूषित तो हो गए हैं लेकिन उनके मन में हिंदुत्व की कोई भावना नहीं है । ऐसे लोगों से हिंदुओं को आखिर कितनी उम्मीद रखनी चाहिए ये स्वयं हिंदुओं को ही सोचना होगा । आज भी पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थी नारकीय जीवन जी रहे हैं और रोहिंग्याओं के लिए केजरीवाल सरकारी योजनाएं बनवा रहा है ।

-भारत सरकार को इस बात की स्पष्ट घोषणा करनी चाहिए कि अगर भारत के अंदर कोई भी शरण लेना चाहता है तो उसे पहले ये साबित करना होगा कि वो सभ्य है और हमारी नजर में सभ्य होने का अर्थ है हिंदू होना और इसीलिए हमारा स्पष्ट निवेदन है कि भारत सरकार सिर्फ उसी को भारत में शरण दे जो हिंदू धर्म के प्रति आस्था व्यक्त करें और मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के आदर्शों पर ही चलने का संकल्प ले । इसके अलावा अन्य किसी को भी शरण देना हिंदू वोट से विश्वासघात है ऐसा हमारा स्पष्ट मानना है । इसके अलावा भारत सरकार को तुरंत सीएए और एनआरसी लागू करना चाहिए । भारत सरकार को श्रीमदभगवत गीता के रास्ते पर चलते हुए धर्मानुकूल आचरण करना चाहिए और इससे होने वाले साइड इफेक्ट्स की चिंता छोड़ देनी चाहिए ।


महालय श्राद्ध - श्राद्ध विधि

महालय श्राद्ध - 10 से 25 सितम्बर 2022

श्राद्ध पक्ष में अपनाए जाने वाले सभी मुख्य नियम
(- पूज्य संत श्री आशारामजी बापू के सत्संग प्रवचन से)

1) श्राद्ध के दिन भगवद्गीता के सातवें अध्याय का महात्म्य पढ़कर फिर पूरे अध्याय का पाठ करना चाहिए एवं उसका फल मृतक आत्मा को अर्पण करना चाहिए ।

2) श्राद्ध के आरम्भ और अंत में तीन बार निम्न मंत्र का जप करें ।

मंत्र ध्यान से पढ़ें :
देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च ।
नमः स्वधायै स्वाहायै नित्यमेव नमो नमः ll

(समस्त देवताओं, पितरों, महायोगियों, स्वधा एवं स्वाहा सबको हम नमस्कार करते हैं । ये सब शाश्वत  फल प्रदान करने वाले हैं ।)

3) श्राद्ध में एक विशेष मंत्र उच्चारण करने से, पितरों को संतुष्टि होती है और संतुष्ट पितर आप के कुल-खानदान को आशीर्वाद देते हैं ।

मंत्र ध्यान से पढ़ें :

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं स्वधादेव्यै स्वाहा ।

4) जिसका कोई पुत्र न हो, उसका श्राद्ध उसके दौहिक (पुत्री के पुत्र) कर सकते हैं । कोई भी न हो तो पत्नी ही अपने पति का बिना मंत्रोच्चारण के श्राद्ध कर सकती है ।

5) पूजा के समय गंध रहित धूप प्रयोग करें और बिल्व फल प्रयोग न करें और केवल घी का धुँआ भी न करें ।

6) अगर पंडित से श्राद्ध नहीं करा पाते तो सूर्य नारायण के आगे अपने बगल खुले करके (दोनों हाथ ऊपर करके) बोलें :
"हे सूर्य नारायण ! मेरे पिता (नाम), अमुक (नाम) का पुत्र, अमुक जाति (नाम), (अगर जाति, कुल, गोत्र नहीं याद तो ब्रह्म गोत्र बोल दें) को आप संतुष्ट/सुखी रखें । इस निमित मैं आपको अर्घ्य व भोजन कराता हूँ ।" ऐसा करके आप सूर्य भगवान को अर्घ्य दें और भोग लगायें ।

7) श्राद्ध पक्ष में १ माला रोज द्वादश अक्षर मंत्र "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" की जप करनी चाहिए और उस जप का फल नित्य अपने पितृ को अर्पण करना चाहिए ।

8) विचारशील पुरुष को चाहिए कि जिस दिन श्राद्ध करना हो उससे एक दिन पूर्व ही संयमी, श्रेष्ठ ब्राह्मणों को निमंत्रण दे दें । परंतु श्राद्ध के दिन कोई अनिमंत्रित तपस्वी ब्राह्मण घर पर पधारें तो उन्हें भी भोजन कराना चाहिए ।

9) भोजन के लिए उपस्थित अन्न अत्यंत मधुर, भोजनकर्ता की इच्छा के अनुसार तथा अच्छी प्रकार सिद्ध किया हुआ होना चाहिए ।
 पात्रों में भोजन रखकर श्राद्धकर्ता को अत्यंत सुंदर एवं मधुर वाणी से कहना चाहिए कि 'हे महानुभावो ! अब आप लोग अपनी इच्छा के अनुसार भोजन करें ।'
श्रद्धायुक्त व्यक्तियों द्वारा नाम और गोत्र का उच्चारण करके दिया हुआ अन्न पितृगण को वे जैसे आहार के योग्य होते हैं वैसा ही होकर मिलता है । (विष्णु पुराणः 3.16,16)

10) श्राद्धकाल में शरीर, द्रव्य, स्त्री, भूमि, मन, मंत्र और ब्राह्मण - ये सात चीजें विशेष शुद्ध होनी चाहिए ।

11) श्राद्ध में तीन बातों को ध्यान में रखना चाहिए : शुद्धि, अक्रोध और अत्वरा (जल्दबाजी नहीं करना)।

12) श्राद्ध में मंत्र का बड़ा महत्त्व है । श्राद्ध में आपके द्वारा दी गयी वस्तु कितनी भी मूल्यवान क्यों न हो, लेकिन आपके द्वारा यदि मंत्र का उच्चारण ठीक न हो तो काम अस्त-व्यस्त हो जाता है । मंत्रोच्चारण शुद्ध होना चाहिए और जिसके निमित्त श्राद्ध करते हों उसके नाम का उच्चारण भी शुद्ध करना चाहिए ।

यदि किसी कारण से आप पंडित द्वारा श्राद्ध नहीं करा पाए तो क्या करें.....

आप घर पर स्वयं भी कर सकते हैं  पितरों का तर्पण इस विधि से...

श्राद्ध के दिन गीता पाठ

जिस दिन आप के घर में श्राद्ध हो उस दिन गीता का सातवें अध्याय का पाठ करें  । पाठ करते समय जल भर के रखें ।

 पाठ पूरा हो तो जल सूर्य भगवन को अर्घ्य दें और कहें की हमारे पितृ के लिए हम अर्पण करते हें। जिनका श्राद्ध है , उनके लिए आज का गीता पाठ अर्पण।
 - श्री सुरेशानंदजी 

अगर पंडित से श्राद्ध नहीं करा पाते तो!

श्राद्ध करने में समर्थ न हो तो!

श्राद्धकाल में ब्राह्मणों को अन्न देने में यदि कोई समर्थ न हो तो ब्राह्मणों को वन्य कंदमूल , फल , जंगली शाक एवं थोड़ी - सी दक्षिणा ही दे। यदि इतना करने भी कोई समर्थ न हो तो किसी भी द्विजश्रेष्ठको प्रणाम करके एक मुट्ठी काले तिल दे अथवा पितरों के निमित्त पृथ्वी पर भक्ति एवं नम्रतापूर्वक सात - आठ तिलों से युक्त जलांजलि दे देवे । यदि इसका भी अभाव हो तो कही कहीं न कहीं से एक दिन का घास लाकर प्रीति और श्रद्धापूर्वक पितरों के उद्देश्य से गौ को खिलाये । 

इन सभी वस्तुओं का अभाव होने पर वन में जाकर अपना कक्षमूल ( बगल ) सूर्य को दिखाकर उच्च स्वर से कहेः

न मेऽस्ति वित्तं न धनं न चान्यच्छाद्धस्य योग्यं स्वपितृन्नतोऽस्मि ।
तृष्यन्तु भक्तया पितरो मयैतौ भुजौ ततौ वर्मनि मारूतस्य ॥

मेरे पास श्राद्ध कर्म के योग्य न धन - संपत्ति है और न कोई अन्य सामग्री। अतः मैं अपने पितरों को प्रणाम करता हूँ। वे मेरी भक्ति से ही तृप्तिलाभ करें । मैंने अपनी दोनों बाहें आकाश में उठा रखी हैं । - वायु पुराण

सूर्य नारायण के आगे अपने बगल खुले करके (दोनों हाथ ऊपर करके) बोलें :

"हे सूर्य नारायण ! मेरे पिता (नाम), अमुक (नाम) का बेटा, अमुक जाति (नाम), (अगर जाति, कुल, गोत्र नहीं याद तो ब्रह्म गोत्र बोल दे) को आप संतुष्ट/सुखी रखें । इस निमित मैं आपको अर्घ्य व भोजन कराता  हूँ ।"

- ऐसा करके आप सूर्य भगवान को अर्घ्य दें और भोग लगायें । - पूज्य बापूजी  


तुलसी
श्राद्ध और यज्ञ आदि कार्यों में तुलसी का एक पत्ता भी महान पुण्य देनेवाला है |

पद्मपुराण (ऋषिप्रसाद मैगजीन– अक्टूबर २०१४ से )
            

श्राद्ध के लिए विशेष मंत्र
" ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं स्वधादेव्यै स्वाहा । "
 इस मंत्र का जप करके हाथ उठाकर सूर्य नारायण को पितृ की तृप्ति एवं सदगति के लिए प्रार्थना  करें । स्वधा ब्रह्माजी की मानस पुत्री हैं । इस मंत्र के जप से पितृ की तृप्ति अवश्य होती है और श्राद्ध में जो त्रुटि रह गई हो वे भी पूर्ण हो जाती है।
- पूज्य बापूजी 

श्राद्ध में करने योग्य

श्राद्ध पक्ष में 1 माला रोज द्वादश मंत्र " ॐ नमो भगवते वासुदेवाय " की करनी चाहिए और उस माला का फल नित्य अपने पितृ को अर्पण करना चाहिए।
 - रेखा दीदी