शुक्रवार, 17 जुलाई 2020

जिनको अपनी दरिद्रता मिटाना है... सोमवती अमावस्या

जिनको अपनी दरिद्रता मिटाना है ध्यान दे दरिद्रता तो नहीं है, लेकिन धंधे में बरकत लाना है तो:

"तुलसी के पौधे की सोमवती अमावस्या के दिन 108 परिक्रमा करें।" 


सोमवती अमावस्या हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है, जो तब आती है जब अमावस्या सोमवार को पड़ती है। यह दिन भगवान शिव और पितरों की पूजा के लिए विशेष रूप से शुभ होता है, यह दिन अत्यंत शुभ और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए उपयुक्त है।

सोमवती अमावस्या का महत्व:

  • धन और समृद्धितुलसी पूजन और व्रत करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
  • दांपत्य जीवन में सुख: महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और पीपल वृक्ष की परिक्रमा करती हैं।
  • शिव पूजा का महत्व: भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा से इच्छाओं की पूर्ति होती है।
अगर आप क़र्ज़ से परेशान हैं और आप क़र्ज़ से छुटकारा चाहते हैं। अच्छी जॉब या व्यवसाय में लाभ चाहते हैं। उसके लिए शास्त्रों में अनेकों उपाय और टोटके बताये गए हैं। आप किसी भी नियम को सच्चे भाव अथवा श्रद्धा पूर्वक करेंगे तो पक्का लाभ होगा । उन नियमो में से एक प्रभावशाली उपाय हैं "सोमवती अमावस्या" के दिन तुलसी के पौधे की 108 परिक्रमा

तुलसी के पौधे की पूजा करना परिक्रमा करना हिंदू धर्म में एक अत्यंत शुभ माना जाता है। 
यह भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए एक महत्वपूर्ण साधना है। 

पूजन की विधि - नियम : 

  •  स्नान और शुद्धि: परिक्रमा करने से पहले स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें। मन को शांत करें और माता लक्ष्मी का ध्यान करें।
  • परिक्रमा: तुलसी माता की दीप-धुप पूजा करें, हाथ जोड़कर प्रार्थना करें और अपनी इच्छाओं को व्यक्त करें।परिक्रमा करते समय "श्री हरी" या "ॐ वासुदेवाय नमः" या "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें। अथवा आपका जी भी प्रिय मंत्र अथवा गुरुमंत्र हो उसे जाप करें।  
  • संख्या का महत्व: 108 परिक्रमा का महत्व इसलिए है क्योंकि यह संख्या ब्रह्मांडीय ऊर्जा और आध्यात्मिकता से जुड़ी होती है। इसे लगातार ध्यानपूर्वक करें, लेकिन यदि स्वास्थ्य कारणों से संभव न हो तो मन में इस संख्या का ध्यान करते हुए परिक्रमा कर सकते हैं।
  • परिक्रमा: "ध्यान रखें परिक्रमा हमेशा दाहिनी ओर (क्लॉकवाइज़) से करनी चाहिए।"
महाप्रसादजननी सर्वसौभाग्यवर्धनी। आधिव्याधि हरिर्नित्यं तुलसि त्वां नमोऽस्तु ते।।

तुलसी माता को देवी स्वरूप मानकर श्रद्धा के साथ परिक्रमा करने से आपकी इच्छाएं पूरी होती हैं और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

तुलसी के पौधे की 108 परिक्रमा करे और उस दिन सम्भव हो तो मौन रहें या फिर कम बात-चित करें, मन्त्र  जप करे. सोमवती अमावस्या, ग्रहण के समय, महाशिवरात्रि, जन्माष्टमी, होली और दिवाली की रात. इन विशेष तिथियों में जप का प्रभाव लांखों गुणा बढ़ जाता हैं। इन विशेष दिनों में मंत्र जाप का जरूर लाभ लेना  चाहिए।   

25 दिसम्बर - तुलसी पूजन दिवस

विशेष: यदि  आपका  क़र्ज़ है और क़र्ज़ चुकाने की नीयत अच्छी है तो धन में वृद्धि बरकत आएगी, अगर नहीं हैं तो कंगले हो जाओगे, पक्की बात है । किसी का कर्जा सिर पर लेकर मरना बहुत खतरा है। कई जन्मों के बाद भी चुकाना पड़ता है, कोर्ट -कचहरीवाले कुछ न करे तभी भी कर्म का सिद्धांत साथ नहीं छोड़ता है । ऐसे कई (घटित घटना) दृष्टांत हैं। 

 


 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें